क्या बहू कर सकती है सास-ससुर की प्रॉपर्टी पर दावा? जानिए नया कानून क्या कहता है – Property Rights

By Prerna Gupta

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Property Rights – भारतीय परिवारों में जब संपत्ति की बात आती है, तो सास-ससुर और बहू के बीच अक्सर विवाद हो जाता है। ये मामला सिर्फ जमीनी विवाद तक ही सीमित नहीं रहता, बल्कि रिश्तों में दूरियां भी पैदा कर सकता है। ऐसे में सबसे जरूरी है कि हम सही जानकारी रखें कि आखिर बहू का अपने सास-ससुर की प्रॉपर्टी पर क्या अधिकार होते हैं। क्या सचमुच बहू अपनी सास-ससुर की संपत्ति पर दावा कर सकती है? या ये एक मिथक है? आइए इस मुद्दे को विस्तार से समझते हैं।

सास-ससुर की संपत्ति पर बहू का कानूनी अधिकार नहीं होता

सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि भारतीय कानून के हिसाब से बहू का सीधे तौर पर अपने सास-ससुर की संपत्ति पर कोई अधिकार नहीं होता। यह अधिकार बहू को स्वाभाविक रूप से नहीं मिलता। यानी बहू अपने सास-ससुर की प्रॉपर्टी पर खुद से दावा नहीं कर सकती।

यह इसलिए क्योंकि वह संपत्ति सीधे तौर पर उसके नाम पर नहीं होती और न ही कानून उसे इसका हकदार मानता है। सास-ससुर की संपत्ति उनके परिवार के सदस्यों, जैसे उनके बेटे या बेटियों को मिलती है। बहू को केवल अपने पति के माध्यम से या सास-ससुर की मर्जी से ही उस संपत्ति में हिस्सा मिल सकता है।

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बहू को अधिकार कब और कैसे मिल सकता है?

बहू को सास-ससुर की संपत्ति में हिस्सा मिलने के दो मुख्य तरीके होते हैं:

  1. पति के माध्यम से:
    अगर बहू का पति, यानी सास-ससुर का बेटा, अपनी संपत्ति का हिस्सा अपनी पत्नी को देना चाहता है, तो वह कानूनी रूप से अपनी हिस्सेदारी बहू को दे सकता है। पति की सहमति से बहू उस संपत्ति में अपना अधिकार पाती है।
  2. सास-ससुर की इच्छा से:
    सास-ससुर अपनी मर्जी से अपनी संपत्ति का कोई हिस्सा बहू को दे सकते हैं, चाहे वह सीधे ट्रांसफर हो या वसीयत के माध्यम से। इसमें कोई कानून विरोधी बात नहीं है।

पैतृक संपत्ति और बहू के अधिकार

पैतृक संपत्ति से आशय है वह संपत्ति जो पिता, दादा या पूर्वजों से विरासत में मिली होती है। इस संपत्ति पर बहू का सीधा कोई अधिकार नहीं होता जब तक कि पति खुद उसे दे।

  • पति की ज़िन्दगी में: पति ही अपनी पैतृक संपत्ति का हिस्सा अपनी पत्नी को दे सकता है। बहू को स्वयं उस संपत्ति पर कोई अधिकार नहीं मिलता।
  • पति की मृत्यु के बाद: पति के मरने के बाद बहू अपने पति के हिस्से पर कानूनी दावा कर सकती है, क्योंकि वह पति की कानूनी उत्तराधिकारी मानी जाती है।

इसलिए पैतृक संपत्ति पर बहू का दावा केवल पति के माध्यम से ही मान्य होता है।

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विवाह के बाद अर्जित संपत्ति पर बहू के अधिकार

जब पति और पत्नी मिलकर शादी के बाद कोई संपत्ति खरीदते हैं, तो उस संपत्ति पर दोनों का समान अधिकार होता है। इसे संयुक्त संपत्ति कहा जाता है।

  • अगर पति ने अकेले कोई संपत्ति खरीदी है, तो पत्नी को तलाक या पति की मृत्यु की स्थिति में उस संपत्ति में हिस्सा मिल सकता है।
  • इस प्रकार की संपत्ति में बहू के अधिकार ज्यादा स्पष्ट और मजबूत होते हैं।

यह बात ध्यान में रखनी चाहिए कि विवाह के बाद की संपत्ति पर बहू का हक़ क़ानूनी रूप से सुरक्षित होता है।

वसीयत का रोल: विवादों से बचने का रास्ता

अक्सर परिवारों में संपत्ति को लेकर विवाद वसीयत न होने की वजह से होते हैं। इसलिए, सास-ससुर के लिए यह बेहतर है कि वे अपनी संपत्ति का वितरण जीवनकाल में ही वसीयत के माध्यम से कर दें।

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  • वसीयत में साफ-साफ लिखा जा सकता है कि कौन-सी संपत्ति किसे मिलेगी।
  • यदि सास-ससुर चाहते हैं तो अपनी बहू को भी प्रॉपर्टी में हिस्सा दे सकते हैं।
  • इससे भविष्य में संपत्ति विवाद से बचा जा सकता है और परिवार में सद्भाव बना रहता है।

संपत्ति विवादों से बचने के आसान उपाय

संपत्ति विवाद बहुत से परिवारों में रिश्तों को खराब कर देते हैं। लेकिन कुछ आसान कदम उठाकर आप इस समस्या से बच सकते हैं:

  • खुला संवाद करें: परिवार के सभी सदस्य मिलकर बात करें और संपत्ति के बंटवारे पर सहमति बनाएं।
  • कानूनी सलाह लें: संपत्ति के मामलों में एक्सपर्ट वकील से सलाह लेना जरूरी है ताकि भविष्य में कोई विवाद न हो।
  • दस्तावेज सुरक्षित रखें: सभी संपत्ति के कागजात अपडेटेड और सुरक्षित स्थान पर रखें।
  • वसीयत बनवाएं: स्पष्ट और कानूनी रूप से मान्य वसीयत बनाना परिवार के लिए फायदेमंद होगा।

भारतीय कानून के अनुसार, बहू का सास-ससुर की संपत्ति पर सीधा कोई अधिकार नहीं होता। लेकिन पति के माध्यम से या सास-ससुर की इच्छा से वह संपत्ति में हिस्सा पा सकती है। पति की मौत के बाद भी बहू को पति की संपत्ति पर हक़ मिल जाता है।

इसलिए परिवारों को चाहिए कि वे संपत्ति को लेकर पारदर्शिता और समझदारी से काम लें। इससे विवाद से बचा जा सकता है और रिश्ते मजबूत होते हैं। किसी भी कानूनी मामले में विशेषज्ञ से सलाह लेना सबसे अच्छा कदम होता है।

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