Gratuity Rule – अगर आप किसी कंपनी में लंबे समय से काम कर रहे हैं तो आपके लिए एक शानदार खबर है – आपको ग्रेच्युटी का बड़ा फायदा मिल सकता है। खासकर अगर आपने 15 साल की नौकरी पूरी कर ली है, तो करीब 6.5 लाख रुपये तक की रकम आपके खाते में आ सकती है। लेकिन ये रकम कैसे तय होती है और कौन लोग इसके हकदार होते हैं, आइए इसे थोड़ा आसान भाषा में समझते हैं।
क्या होती है ग्रेच्युटी?
ग्रेच्युटी एक तरह का ‘थैंक यू’ है जो कंपनी अपने लॉन्ग-टर्म कर्मचारियों को देती है। जब कोई कर्मचारी किसी संगठन में लगातार पांच साल या उससे ज्यादा समय तक काम करता है और फिर नौकरी छोड़ता है, रिटायर होता है या दुर्भाग्यवश उसकी मृत्यु हो जाती है, तब कंपनी उसे ग्रेच्युटी देती है। यह रकम कर्मचारी की सेवा और निष्ठा के लिए एक सम्मान की तरह होती है।
क्यों जरूरी है ग्रेच्युटी?
कर्मचारियों के लिए ग्रेच्युटी एक फाइनेंशियल सेफ्टी नेट है। सेवानिवृत्ति के बाद जब आपकी आमदनी बंद हो जाती है, तब यह रकम आपकी मदद करती है। आप इस पैसे से घर खरीद सकते हैं, बच्चों की पढ़ाई में खर्च कर सकते हैं या रिटायरमेंट के बाद चैन की जिंदगी जी सकते हैं। खास बात यह है कि एक लिमिट तक यह रकम टैक्स फ्री भी होती है।
ग्रेच्युटी कैसे कैलकुलेट होती है?
अब बात करते हैं असली सवाल की – आखिर ये ग्रेच्युटी कितनी मिलेगी? इसका एक फॉर्मूला होता है:
ग्रेच्युटी = अंतिम सैलरी × सेवा के वर्ष × 15/26
यहां अंतिम सैलरी में आपका बेसिक सैलरी + डीए (महंगाई भत्ता) + फिक्स्ड कमीशन शामिल होता है। ’15’ का मतलब 15 दिन की सैलरी और ’26’ से मतलब महीने के वर्किंग डेज।
उदाहरण: अगर सैलरी है ₹75,000 और नौकरी की अवधि 15 साल है
ग्रेच्युटी = ₹75,000 × 15 × 15 / 26 = ₹6,49,038
यानि अगर आप 15 साल से एक ही कंपनी में काम कर रहे हैं और आपकी आखिरी सैलरी ₹75,000 थी, तो आपको लगभग साढ़े छह लाख रुपये की ग्रेच्युटी मिल सकती है।
ग्रेच्युटी एक्ट के तहत नियम
यह सब ‘पेमेंट ऑफ ग्रेच्युटी एक्ट 1972’ के तहत आता है। ये एक्ट उन सभी संस्थानों पर लागू होता है जहां कम से कम 10 कर्मचारी हों। अगर आपकी कंपनी इस एक्ट में रजिस्टर्ड नहीं है तो भी वो आपको ग्रेच्युटी दे सकती है, लेकिन कैलकुलेशन का तरीका थोड़ा बदल सकता है – जैसे 26 दिन की बजाय 30 दिन से कैलकुलेट किया जा सकता है।
क्या ग्रेच्युटी टैक्स फ्री है?
हां, ग्रेच्युटी की राशि पर ₹20 लाख तक टैक्स नहीं लगता। इससे ज्यादा रकम पर इनकम टैक्स एक्ट के मुताबिक टैक्स लगाया जा सकता है। इसका मतलब ये कि आपको अपनी सेवाओं के बदले मिलने वाली एक मोटी रकम पर टैक्स की भी छूट मिलती है।
ग्रेच्युटी क्लेम कैसे करें?
अगर आप नौकरी छोड़ने के बाद ग्रेच्युटी लेना चाहते हैं तो आपको एक फॉर्मल एप्लिकेशन देना होगा। कंपनी को 30 दिनों के अंदर इसका भुगतान करना होता है। अगर वो ऐसा नहीं करती है तो उन्हें ब्याज के साथ पैसे देने पड़ सकते हैं। इसलिए देरी न करें, अपना क्लेम समय पर दर्ज करें।
कौन कर सकता है ग्रेच्युटी क्लेम?
इसके लिए कुछ जरूरी शर्तें होती हैं:
- कर्मचारी ने कम से कम 5 साल तक लगातार नौकरी की हो (मौत या विकलांगता के केस में ये शर्त नहीं लागू)
- नौकरी छोड़ी हो, रिटायर हुआ हो या अन्य किसी वैध कारण से सेवा खत्म हुई हो
- कर्मचारी को नौकरी से निकाला न गया हो किसी अनुशासनहीनता की वजह से
ग्रेच्युटी एक बहुत अहम और बड़ा फाइनेंशियल बेनिफिट है, जिसे लेकर हर कर्मचारी को जागरूक होना चाहिए। अगर आपने पांच साल या उससे ज्यादा की सेवा दी है, तो जरूर चेक करें कि आप इस फायदे के लिए पात्र हैं या नहीं। इसे नज़रअंदाज मत करें – ये आपकी मेहनत का असली रिटर्न है।
Disclaimer
यह लेख केवल जानकारी देने के लिए है। ग्रेच्युटी से जुड़ी पॉलिसी, नियम और कैलकुलेशन समय-समय पर बदल सकते हैं। किसी भी फाइनेंशियल या लीगल निर्णय से पहले अपने HR या किसी योग्य वित्तीय सलाहकार से सलाह जरूर लें।